राव कुँपाजी :-
राव कुंपा जी जिन्होंने मरुधरा पर अपना अमर बलिदान दिया, जिसका स्वरुप ये वीररस गीत है ।
जोधाणे माल, अजै गढ़ जैतो ।
कूंप बीक पुर राज करै ।।
कूंप बीक पुर राज करै ।।
लाखाँ लोग चढ़ै ज्यां लारे ।
दिल्ली आगरो दहूं डरै ।।
दिल्ली आगरो दहूं डरै ।।
माल धणी अर जैत मुसाहिब ।
कूप करण दीवाण कहै ।।
कूप करण दीवाण कहै ।।
बेगङ अरवा सदा धुर वामि ।
वडरा जीमणीयाल बहै ।।
वडरा जीमणीयाल बहै ।।
गंगावत मंडोर गरजियो ।
पचाणोत बावन गढ़पाट ।।
पचाणोत बावन गढ़पाट ।।
सुत मेहराज जंगल धर सौहे ।
धङे न कोई हूवा घाट ।।
धङे न कोई हूवा घाट ।।
अनमां नाम उनथां नाथै ।
बलवन्त भरै गयण सु बाथ ।।
बलवन्त भरै गयण सु बाथ ।।
असमर त्याग कमंधा आगे ।
हिन्दू तूरक न काढ़ै हाथ ।।
हिन्दू तूरक न काढ़ै हाथ ।।
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