रावल खुमाण द्वितीय, मेवाड़ (813-833 ई)
मेवाड़ के रावल खुमाण का शौर्य ऐसा था, उसकी युद्धों में सफलता ऐसी रही की आने वाली शताब्दियों में राजस्थान में खुमाण को वीरता का परिचायक माना जाने लगा था।
यद्यपि इतिहास के अंधकार में हमें रावल खुमाण का अधिक वृतान्त नहीं मिलता परन्तु इतना निश्चित है कि खुमाण ने भारत के अनेक प्रान्तों के राजाओं की सम्मिलित सेना लेकर सिंध के अरब सूबेदार बशर के आक्रमण का सफलतापूर्वक सामना किया था ।
चित्तौड़ की राजधानी से अरबी मुसलमानों के आक्रमणों को रोकने के लिए जो नेतृत्व रावल बप्पा ने प्रदान किया था, रावण खुमाण ने उसका अच्छा अनुसरण किया । रावल खुमाण का साथ जिन भारतीय नरेशों ने दिया उनमें नागभट्ट प्रतिहार द्वितीय तथा गुवाक चौहान प्रथम प्रमुख हैं ।
(उदयपुर राज्य का इतिहास प्रथम-गै.ही. ओझा)