हम दैनिक भास्कर कि इस फैक न्यूज़ को चुनौती देते है इस खबर कि सत्यता सिद्ध करें |
30 दिसंबर 2017 राजस्थान के बड़े न्यूज़ पेपर दैनिक भास्कर में बड़ी खबर छपी जो कि पूरी तरह से एक गलत न्यूज़ है |
दैनिक भास्कर ने अपनी न्यूज़ में रुदालियों का जिक्र किया जो सामंतो के यहाँ रोने जाती है |
हम दैनिक भास्कर कि इस फैक न्यूज़ को चुनौती देते है इस खबर कि सत्यता सिद्ध करें |
पहली चुनौती इस तस्वीर को लेकर है जिसे भास्कर ने रुदालियों कि बताया है, असल में यह तस्वीर रेवदर के ओढ़वाडीया के देवासी समाज से संबंधित है |
जालौर के रानीवाड़ा से गुजरात तक यह सामान्य परम्परा है कि कुछ जातियों कि महिलाएं जब अपनी रिस्तेदारी या गांव में किसी कि मृत्यु पर बैठने जाती है तो छाती पीटकर रोती है और पुरुष भी मुँह ढकते है |
यह अलग अलग जातियों कि अपनी परम्परा है |
पहली चुनौती हमारी इस तस्वीर से संबंधित है कि भास्कर इस तस्वीर के लिए स्पष्टिकरण दें कि यह किस गांव से संबंधित है, क्योंकि यह तस्वीर रेवदर के ओढ़वाडीया के देवासी समाज से संबंधित है |
देवासी समाज ने इस खबर का विरोध स्थानीय विद्यायक जगसीराम से फोन कर जताया है जिन का नाम भी भास्कर ने छापा है उनके अनुसार उनकी उस न्यूज़ से सहमति नहीं है (हमारे पास रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है) |
जिन अनिल शर्मा ने यह फोटो उपलब्ध करवाई है और इस तस्वीर को आदिवासी दलितों कि बताया है उससे जब देवासी समाज ने फोन कर सवाल किये तो उसकी बोलती बंद हो गई, इन्होने माना है यह गलत फोटो छापकर भास्कर लोगो को भृमित किया है और फिर से स्पष्टीकरण देने को सहमत है कि गलत फोटो छापा है (इस बातचीत कि रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है) |
भास्कर ने रेवदर तहसील के जिन गाँवों का नाम लिखा है वहाँ के गाँवों से एक भी रूदाली ढूँढ कर लाकर दिखादें, सरासर सौ प्रतिशत झूठी ख़बर फैलाने व समाज को गुमराह करने का काम भास्कर के रिपोर्टर आनंद चौधरी व रणजीतसिंह चारण ने किया है |
इन गाँवों में कोई रूदाली परिवार या दलितों से ज़बरन मुंडन कराने का एक भी केस मिल गया तो हम सत्यता स्वीकार करेंगे । साथ ही यह ख़बर समाज की सामाजिक समरसता तोड़ने झूठी मनगढ़ंत व तथ्यहीन है।
इस ख़बर से राजपूत समाज देवासी समाज व दलित समाज की भावनाएँ आहत हुई है इनसे पत्रकार आनंद चौधरी रणजीतसिंह चारण व दैनिक भास्कर को इस झूठी ख़बर के लिए माफ़ी माँगनी चाहिए।
यह राजस्थान में जातिय वैमनस्य पैदा करने की साज़िश है जिसका हर नागरिक को विरोध करना चाहिए।
30 दिसंबर 2017 राजस्थान के बड़े न्यूज़ पेपर दैनिक भास्कर में बड़ी खबर छपी जो कि पूरी तरह से एक गलत न्यूज़ है |
दैनिक भास्कर ने अपनी न्यूज़ में रुदालियों का जिक्र किया जो सामंतो के यहाँ रोने जाती है |
हम दैनिक भास्कर कि इस फैक न्यूज़ को चुनौती देते है इस खबर कि सत्यता सिद्ध करें |
पहली चुनौती इस तस्वीर को लेकर है जिसे भास्कर ने रुदालियों कि बताया है, असल में यह तस्वीर रेवदर के ओढ़वाडीया के देवासी समाज से संबंधित है |
जालौर के रानीवाड़ा से गुजरात तक यह सामान्य परम्परा है कि कुछ जातियों कि महिलाएं जब अपनी रिस्तेदारी या गांव में किसी कि मृत्यु पर बैठने जाती है तो छाती पीटकर रोती है और पुरुष भी मुँह ढकते है |
यह अलग अलग जातियों कि अपनी परम्परा है |
पहली चुनौती हमारी इस तस्वीर से संबंधित है कि भास्कर इस तस्वीर के लिए स्पष्टिकरण दें कि यह किस गांव से संबंधित है, क्योंकि यह तस्वीर रेवदर के ओढ़वाडीया के देवासी समाज से संबंधित है |
देवासी समाज ने इस खबर का विरोध स्थानीय विद्यायक जगसीराम से फोन कर जताया है जिन का नाम भी भास्कर ने छापा है उनके अनुसार उनकी उस न्यूज़ से सहमति नहीं है (हमारे पास रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है) |
जिन अनिल शर्मा ने यह फोटो उपलब्ध करवाई है और इस तस्वीर को आदिवासी दलितों कि बताया है उससे जब देवासी समाज ने फोन कर सवाल किये तो उसकी बोलती बंद हो गई, इन्होने माना है यह गलत फोटो छापकर भास्कर लोगो को भृमित किया है और फिर से स्पष्टीकरण देने को सहमत है कि गलत फोटो छापा है (इस बातचीत कि रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है) |
भास्कर ने रेवदर तहसील के जिन गाँवों का नाम लिखा है वहाँ के गाँवों से एक भी रूदाली ढूँढ कर लाकर दिखादें, सरासर सौ प्रतिशत झूठी ख़बर फैलाने व समाज को गुमराह करने का काम भास्कर के रिपोर्टर आनंद चौधरी व रणजीतसिंह चारण ने किया है |
इन गाँवों में कोई रूदाली परिवार या दलितों से ज़बरन मुंडन कराने का एक भी केस मिल गया तो हम सत्यता स्वीकार करेंगे । साथ ही यह ख़बर समाज की सामाजिक समरसता तोड़ने झूठी मनगढ़ंत व तथ्यहीन है।
इस ख़बर से राजपूत समाज देवासी समाज व दलित समाज की भावनाएँ आहत हुई है इनसे पत्रकार आनंद चौधरी रणजीतसिंह चारण व दैनिक भास्कर को इस झूठी ख़बर के लिए माफ़ी माँगनी चाहिए।
यह राजस्थान में जातिय वैमनस्य पैदा करने की साज़िश है जिसका हर नागरिक को विरोध करना चाहिए।
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