राजा गोविन्दचन्द्र गहड़वाल (1114-1154 ई.) और राजा विजयचन्द्र गाहडवाल, कर्नौज (11 55-69 ई.)
इन राजाओं ने विदेशी मुसलमानों से लगातार युद्ध किए और देश रक्षा के लिए जनता पर विशेष तुर्क दण्ड नामक कर लगाया था । ऐसा ताम्रपत्रों से ज्ञात हुआ है। राजा गोविन्द्रचंद की रानी कुमारदेवी के सारनाथ शिलालेख में लिखा गया है कि गोविन्दचन्द्र दुष्ट तुकों से वाराणसी की रक्षा करने के लिए शिवशंकर द्वारा नियुक्त हरिविष्णु का अवतार था।
कृत्यकल्पतरू का लेखक लक्ष्मीधर लिखता है कि गोविन्दचन्द्र ने युद्ध में वीर हम्मीर (अमीर तुर्क) को मार डाला । आर.एस. त्रिपाठी हिस्ट्री ऑफ कन्नौज में इसे गजनी के मसूद तृतीय द्वारा कन्नौज पर हुआ आक्रमण मानते हैं। 1168 ई. के जयचन्द का कमोली शिलालेख में विजयचन्द्र द्वारा किसी तुर्क सेना को हराने का वर्णन करता है ।
(गाहड़वालों का इतिहास, पृष्ठ 38 - डॉ. प्रशान्त कश्यप, वाराणसी) ।
(सल्तनत काल में हिन्दू प्रतिरोध - डॉ. अशोक कुमार सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी की पीएच.डी. हेतु स्वीकृत शोध ग्रंथ, पृष्ठ 73 व 74)
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