सुल्तान मोहम्मद गौरी की हत्या 15 मार्च 1206 ई.-
शाहबुद्दीन गौरी वह उसकी मृत्यु कि ईस्वी को लेकर चर्चा इसलिए है कि अफगानिस्तान में घुरि राजवंश के दो सगे भाईयो गयासुद्दीन गौरी और शाहबुद्दीन गौरी ने सन् 1173 से 1202 तक संयुक्त रूप से राज्य किया। बड़े भाई गयासुद्दीन की मृत्यु सन् 1202 में होने के बाद शाहबुद्दीन गौरी ने 1202-1206 तक अकेले शासन किया था।
1204 ई. में एक अफवाह फैल गई कि गजनी सुल्तान गौरी मर गया है । इस कारण मुल्तान में उसके एक अमीर ने विद्रोह कर दिया । इसका लाभ उठाते हुए खोखर राजपूतों ने भी विद्रोह किया जिसकी प्रचण्डता इतनी हुई कि मुल्तान के आधीन संगवान का सूबेदार वहाउद्दीन आगे बढ़ा जिसे खोखरों ने बुरी तरह हरा दिया । बहुत से मुसलमान मारे गए बाकी भाग गए । इस विजय को देख बहुत से खोखर राजपूत संगठित होने लगे ।
इस पर सुल्तान गौरी ने कुतुबुद्दीन को उनके विरूद्ध भेजा और स्वयं भी रवाना हुआ । सन् 1206 में पंजाब के झेलम के पास खोखर राजपूतो (राठौर राजपूतो की शाखा) ने शाहबुद्दीन गौरी की हत्या कर दी थी। यही शाहबुद्दीन गौरी तराईन के दोनों युद्धों में पृथ्वीराज चौहान की सेना से भिड़ा था। खोखर राजपूत (राठौर राजपूतो की शाखा) राजपूत अब पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में बड़ी संख्या में मिलते हैं और लगभग सभी मुसलमान हैं इनमे से कुछ जाटों में विवाह करके जाट भी बन गए हैं ।
मौहम्मद गौरी को खोखर जाटों ने मारा ऐसा जाटों द्वारा प्रचार किया जाता है जो पूर्णतया निराधार है ।
शाहबुद्दीन गौरी वह उसकी मृत्यु कि ईस्वी को लेकर चर्चा इसलिए है कि अफगानिस्तान में घुरि राजवंश के दो सगे भाईयो गयासुद्दीन गौरी और शाहबुद्दीन गौरी ने सन् 1173 से 1202 तक संयुक्त रूप से राज्य किया। बड़े भाई गयासुद्दीन की मृत्यु सन् 1202 में होने के बाद शाहबुद्दीन गौरी ने 1202-1206 तक अकेले शासन किया था।
1204 ई. में एक अफवाह फैल गई कि गजनी सुल्तान गौरी मर गया है । इस कारण मुल्तान में उसके एक अमीर ने विद्रोह कर दिया । इसका लाभ उठाते हुए खोखर राजपूतों ने भी विद्रोह किया जिसकी प्रचण्डता इतनी हुई कि मुल्तान के आधीन संगवान का सूबेदार वहाउद्दीन आगे बढ़ा जिसे खोखरों ने बुरी तरह हरा दिया । बहुत से मुसलमान मारे गए बाकी भाग गए । इस विजय को देख बहुत से खोखर राजपूत संगठित होने लगे ।
इस पर सुल्तान गौरी ने कुतुबुद्दीन को उनके विरूद्ध भेजा और स्वयं भी रवाना हुआ । सन् 1206 में पंजाब के झेलम के पास खोखर राजपूतो (राठौर राजपूतो की शाखा) ने शाहबुद्दीन गौरी की हत्या कर दी थी। यही शाहबुद्दीन गौरी तराईन के दोनों युद्धों में पृथ्वीराज चौहान की सेना से भिड़ा था। खोखर राजपूत (राठौर राजपूतो की शाखा) राजपूत अब पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में बड़ी संख्या में मिलते हैं और लगभग सभी मुसलमान हैं इनमे से कुछ जाटों में विवाह करके जाट भी बन गए हैं ।
मौहम्मद गौरी को खोखर जाटों ने मारा ऐसा जाटों द्वारा प्रचार किया जाता है जो पूर्णतया निराधार है ।
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