बदायूँ के राष्ट्रकूट राठौड़ राजा लखनपाल
बदायूँ के राष्ट्रकूट राठौड़ो के विद्रोह (1202 ई.) -
बदायुँ राजतंत्र में एक महत्वपूर्ण राज्य था, बदायुँ गंगा नदी के समीप बसा है, 11 वीं शती के प्राप्त अभिलेख के अनुसार इस नगर का नाम वोदामयुता भी था और बदायूँ पांचाल देश कि राजधानी था । बदायूँ की नींव राजा अजयपाल ने 1175 ई. में डाली थी, राष्ट्रकूट राठौड़ राजा लखनपाल को बदायुँ नगर को बसाने का श्रेय दिया जाता है। अरब आक्रमणकारियों में कुतुबुद्दीन बदायूँ आया उसने इल्तुतमिश को अधिकारी लगाया राजा लखनपाल ने नीलकंठ महादेव का प्रसिद्ध मंदिर भी बनवाया था जिसे इल्तुतमिश ने तुड़वा दिया। लेकिन बदायूं में राष्ट्रकूट राठौड़ों ने बार-बार मौके के अनुसार विद्रोह किए जिसे कुतुबुद्दीन ने दबाने कि भरपूर कोशिश कि और वहां इल्तुतमिश को अधिकारी लगाया ।
सारांश यह है कि 1178 ई. से 1202 ई. तक गजनी के गोर मुसलमानों ने अजमेर के चौहान, दिल्ली के तोमर, कन्नौज के गाहड़वाल, कालिन्जर के चन्देल, गुजरात, मालवा आदि को हरा कर बंगाल और आसाम को भी जीता था पर यह बहुत ही अल्पकालीन जीत रही । मुसलमानों की असली सत्ता केवल दिल्ली, आगरा, बदायूं और लाहौर तक सीमित रही। इसी को इतिहास में दिल्ली सल्तनत कहा गया । बाकी प्रदेशों पर राजपूत राजा पुनः स्वतन्त्र हो। गए थे । (सल्तनत काल में हिन्दू प्रतिरोध - डॉ. अशोक कुमार सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी की पीएच.डी. हेतु स्वीकृत शोध ग्रंथ)
बदायूँ के राष्ट्रकूट राठौड़ो के विद्रोह (1202 ई.) -
बदायुँ राजतंत्र में एक महत्वपूर्ण राज्य था, बदायुँ गंगा नदी के समीप बसा है, 11 वीं शती के प्राप्त अभिलेख के अनुसार इस नगर का नाम वोदामयुता भी था और बदायूँ पांचाल देश कि राजधानी था । बदायूँ की नींव राजा अजयपाल ने 1175 ई. में डाली थी, राष्ट्रकूट राठौड़ राजा लखनपाल को बदायुँ नगर को बसाने का श्रेय दिया जाता है। अरब आक्रमणकारियों में कुतुबुद्दीन बदायूँ आया उसने इल्तुतमिश को अधिकारी लगाया राजा लखनपाल ने नीलकंठ महादेव का प्रसिद्ध मंदिर भी बनवाया था जिसे इल्तुतमिश ने तुड़वा दिया। लेकिन बदायूं में राष्ट्रकूट राठौड़ों ने बार-बार मौके के अनुसार विद्रोह किए जिसे कुतुबुद्दीन ने दबाने कि भरपूर कोशिश कि और वहां इल्तुतमिश को अधिकारी लगाया ।
सारांश यह है कि 1178 ई. से 1202 ई. तक गजनी के गोर मुसलमानों ने अजमेर के चौहान, दिल्ली के तोमर, कन्नौज के गाहड़वाल, कालिन्जर के चन्देल, गुजरात, मालवा आदि को हरा कर बंगाल और आसाम को भी जीता था पर यह बहुत ही अल्पकालीन जीत रही । मुसलमानों की असली सत्ता केवल दिल्ली, आगरा, बदायूं और लाहौर तक सीमित रही। इसी को इतिहास में दिल्ली सल्तनत कहा गया । बाकी प्रदेशों पर राजपूत राजा पुनः स्वतन्त्र हो। गए थे । (सल्तनत काल में हिन्दू प्रतिरोध - डॉ. अशोक कुमार सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी की पीएच.डी. हेतु स्वीकृत शोध ग्रंथ)
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