राजा चन्द्रसेन डोर -
कुतुबुद्दीन का मेरठ और बरन बुलन्दशहर पर आक्रमण (1192 ई.) -
गजनी के सुल्तान मोहम्मद गौरी का प्रतिनिधि भारत में कुतुबुद्दीन एबक था । उसने इस क्षेत्र के डोर राजपूतों को हराने के लिए उसके राजा चन्द्रसेन पर हमला किया । हसन निजामी के अनुसार मेरठ में उस समय बहुत ऊंचा और सुदृढ़ किला था जो भारत भर में प्रसिद्ध था ।
मुसलमानों ने दुर्ग घेरा पर उनको सफलता की आशा नहीं थी इसलिए कुतुबुद्दीन ने दुर्ग रक्षक अजयपल और हीरा ब्राह्मण को अपनी ओर मिला लिया और उन्होंने चुपके से मुस्लिम सेना को प्रवेश दे दिया।
अचानक हुए इस धावे से राजपूत संभल नहीं सके परन्तु राजा चन्द्रसेन ने बहादुरी से युद्ध किया और उसने मुसलमानों के प्रसिद्ध सेनापति ख्वाजा लाल अली को मार डाला । अली की कब्र आज भी काली नदी के पार मौजूद है । ऐबक ने सारे मंदिर तोड़ मस्जिदें बनवाई ।
(सल्तनत काल में हिन्दू प्रतिरोध - डॉ. अशोक कुमार सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी की पीएच.डी. हेतु स्वीकृत शोध ग्रंथ, पृष्ठ 120)
कुतुबुद्दीन का मेरठ और बरन बुलन्दशहर पर आक्रमण (1192 ई.) -
गजनी के सुल्तान मोहम्मद गौरी का प्रतिनिधि भारत में कुतुबुद्दीन एबक था । उसने इस क्षेत्र के डोर राजपूतों को हराने के लिए उसके राजा चन्द्रसेन पर हमला किया । हसन निजामी के अनुसार मेरठ में उस समय बहुत ऊंचा और सुदृढ़ किला था जो भारत भर में प्रसिद्ध था ।
मुसलमानों ने दुर्ग घेरा पर उनको सफलता की आशा नहीं थी इसलिए कुतुबुद्दीन ने दुर्ग रक्षक अजयपल और हीरा ब्राह्मण को अपनी ओर मिला लिया और उन्होंने चुपके से मुस्लिम सेना को प्रवेश दे दिया।
अचानक हुए इस धावे से राजपूत संभल नहीं सके परन्तु राजा चन्द्रसेन ने बहादुरी से युद्ध किया और उसने मुसलमानों के प्रसिद्ध सेनापति ख्वाजा लाल अली को मार डाला । अली की कब्र आज भी काली नदी के पार मौजूद है । ऐबक ने सारे मंदिर तोड़ मस्जिदें बनवाई ।
(सल्तनत काल में हिन्दू प्रतिरोध - डॉ. अशोक कुमार सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी की पीएच.डी. हेतु स्वीकृत शोध ग्रंथ, पृष्ठ 120)
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